क्रूड की इनवेंट्री लगातार बढ़ रही है लेकिन उस अनुपात में मांग नहीं बढ़ रही। इसकी वजह से आगे क्रूड की कीमतों में गिरावट देखने को मिल सकती है। ओपेक की रिपोर्ट में
2016 में क्रूड डिमांड में कोई बढ़ोतरी की संभावना नहीं है।
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- जून में रूस का एक्सपोर्ट, सऊदी अरब का उत्पादन बढ़ा
- मिडिल ईस्ट का बढ़ता उत्पादन क्रूड रिकवरी के लिए खतरा
- कनाडा का क्रूड प्रोडक्शन भी सामान्य हुआ
- 1 डॉलर गिरावट से भारत को 6800 करोड़ रुपए का फायदा
सस्ते क्रूड से कम होगी महंगाई
क्रूड सस्ता होने से घरेलू बाजार में पेट्रोल-डीजल की कीमतें घटती हैं। ऐसा होने पर परिवहन की लागत घटती है और महंगाई काबू में रहती है।
क्रूड सस्ता होने का सीधा इंपैक्ट पेट्रोलियम प्रोडक्ट पर पड़ता है। क्रूड से बनने वाले प्रोडक्ट पेट्रोल, डीजल,एलपीजी पर इसका असर पड़ता है।
इसके अलावा क्रूड के दाम घटने से इनसे बनने वाले दूसरे प्रोडक्ट्स पेंट,सिंथेटिक रबर और पीवीसी के दाम भी कम होते हैं।
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